लोगों की राय

नई पुस्तकें >> श्री अक्षरगीता महिमा वैभव

श्री अक्षरगीता महिमा वैभव

वीरेंदर शर्मा

प्रकाशक : अनुराधा प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 10143
आईएसबीएन :9789385083365

Like this Hindi book 0

गीता के प्रथम पाँच अध्याय पंचानन भगवान महेश्वर के पाँच मुख हैं। आगे के दस अध्याय उनकी दस भुजाएँ हैं। सोलहवाँ अध्याय उनका उदर है। सत्तरहवें व अट्ठारहवें अध्याय उनके दोनों चरण है।

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

गीता के प्रथम पाँच अध्याय पंचानन भगवान महेश्वर के पाँच मुख हैं। आगे के दस अध्याय उनकी दस भुजाएँ हैं। सोलहवाँ अध्याय उनका उदर है। सत्तरहवें व अट्ठारहवें अध्याय उनके दोनों चरण है। इसी आध्यात्मिक रहस्य का श्री अक्षरगीता महिमा–वैभव में सहज, सरल, काव्यमय अट्ठारहवें अध्यायों के आख्यानात्मक माहात्म्य के स्वरूप को प्रस्तुत किया गया है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai